
Alok Gaur
मिल जाएगा कोई बहाना रोज़ ही...
ढूंढिए, मिल जाएगा कोई बहाना रोज़ ही
आज़माइए, अच्छा लगेगा मुस्कुराना रोज़ ही
गाइए बिन बोल का, ये तराना रोज़ ही
फिर और भी सुन्दर लगेगा, ये ज़माना रोज़ ही
ढूंढिए, मिल जाएगा…
ढूंढिए, मिल जाएगा कोई बहाना रोज़ ही
बांटिए दिल खोल के, ये नज़राना रोज़ ही
फिर खुद–ब–खुद बढ़ जाएगा, इसका खज़ाना रोज़ ही
ढूंढिए, मिल जाएगा…
धर्म होते सब ही अच्छे, सबको बताना रोज़ ही
वरना भरेंगे आप हम, मंहगा हरजाना रोज़ ही
ढूंढिए, मिल जाएगा …
याद रखिए पत्नी से, इश्क लड़ाना रोज़ ही
फिर देखिए मौसम लगेगा, आशिकाना रोज़ ही
ढूंढिए, मिल जाएगा…
मत भूलिए गालों को ये, कसरत कराना रोज़ ही
स्वस्थ भी खुश भी रहेगा, दिल दीवाना रोज़ ही
ढूंढिए, मिल जाएगा कोई बहाना रोज़ ही
आज़माइए, अच्छा लगेगा मुस्कुराना रोज़ ही
…आलोक
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